बिहार शराब बंदी पर डाॅॅक्टर दीपक श्रीवास्तव की एक कविता
December 23, 2016 2:35 am
डा० दीपक श्रीवास्तव
( पत्रकार , टीवी 100 सिद्धार्थनगर)
पटना छपरा दरभंगा तक
सूख गया रस का प्याला
हाजीपुर के पुल पर केले
अब बेच रही है मधुबाला
महफिल अब वीरान हुई
और नाच खतम नागिन वाला
बुझे बुझे अब लगे बराती
मस्ती पर डाका डाला
घर-घर जाकर सूँघ रहा है
मुखड़ा सबका पुलिसवाला
हत्यारे बलात्कारी रंगदारों से
अपराधी बड़ा अब पीनेवाला
सुन भाई बिहार में नया
फरमान चला नीतीशवाला
पीकर गर ससुराल गये तो
जेल जाएगा ससुरा – साला
खेतो में अब छिपछिपकर
मदिरा पीता पीनेवाला
दो सौ का अब मिलता है
पव्वा वो चालीस वाला
बलिया वाली ट्रेन पकड़कर
बाहर को जाता पीनेवाला
बंगाल यूपी नेपाल झारखंड में
अब बुझती दिल की ज्वाला
राज्य में अंधेर मचा और
उद्योगों पर लटका है ताला
सीएम अपने बेखबर सभी से
जपते शराबबंदी की माला
नया कानून बना बिहार में
पर है बड़ा गड़बड़झाला
यहां बनी विष से भी घातक
पैमाने से छलकती हुई हाला
वोट दिलाते मंदिर मस्जिद
अब जेल कराती मधुशाला
( ये लेखक के अपने विचार हैं )