भाजपा को समाजवादी शब्द से शुरू से ही नफरत है : राजेन्द्र चौधरी, सपा प्रवक्ता
April 7, 2017 5:29 pm
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि प्रदेश में विकास की दावेदारी करने वाले भाजपा नेताओं का सारा ध्यान समाजवादी सरकार की छवि धूमिल करने में लग गया है। जिन्होंने रागद्वेष से परे रहकर कर्तव्य निर्वहन की शपथ ली उनका विपरीत आचरण जगजाहिर हो रहा है। खुद अपनी कोई योजना लाने के बजाय भाजपा सरकार श्री अखिलेश यादव की योजनाओं के साथ छेड़छाड़ करने को अपनी उपलब्धि समझते हैं । भाजपा को समाजवादी शब्द से प्रारम्भ से ही एलर्जी रही है। अपने नफरत के एजेंडा के तहत भाजपा सरकार ने समाजवादी सरकार की 18 योजनाओं से समाजवादी षब्द हटाने का निर्णय लिया है। भाजपा सरकार का यह आचरण पूर्णतया अमर्यादित और असंगत है क्योंकि स्वयं भारत के संविधान में भी ‘समाजवाद‘ शब्द अंकित है। समाजवादी सरकार की योजनाओं पर अपना ठप्पा लगाना भाजपा की छल प्रपंच की राजनीति का ही विस्तार है। नाम बदलने की कवायद स्वस्थ लोकतंात्रिक परंपरा के विपरीत व्यवहार है । कितनी हास्यास्पद बात है कि श्री अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में शहरों और गांवों के लिए 24 घंटा और 18 घंटा बिजली आपूर्ति करने की जो व्यवस्था की थी उसे अब भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकार अपने खाते में जोड़कर जनता को भ्रमित कर रही है। वस्तुतः भाजपा का चरित्र ही भ्रम पैदा करने और समाजवादी विचारधारा के बारे में दुष्प्रचार करने का रहा है। समाजवादी सरकार ने किसानों की कर्जमाफी, मुफ्त सिंचाई, के साथ गांव-गरीब की मदद की जो योजनाएं चलाई थी उनकी ही नकल करके भाजपा की सरकार झूठा यश बटोरने को अपनी सफलता मान रही है। भाजपा सरकार को जनहित की अपनी योजनाएं बनानी चाहिए। भाजपा सरकार अपनी समझ का इस्तेमाल किए बगैर समाजवादी सरकार के कामों की नकल करके अपने राजनीतिक और वैचारिक खोखलेपन का प्रदर्शन कर रही है। जनहित को भाजपा तुष्टीकरण का नाम देती है और नफरत तथा भेदभाव की राजनीति करती है। सबका साथ सबका विकास का नारा इस तरह एक मखौल से कुछ कम नहीं। जनता के बीच अब भाजपा की टोटके बाजी चलने वाली नहीं है। जनता सच्चाई जानती है और वह बहकाने वालों को सबक सिखाना भी जानती है। भाजपाई समझते है कि जिस तरह से केन्द्र की सरकार अपनी विफलता पर पर्दा डालकर तीन वर्ष बिता सकती है तो उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी उसी रास्ते पर चलकर अपना धर्म निभा सकती है। लोकतंत्र के साथ यह धोखाधड़ी देर तक नहीं चलकर सकती है।