ताज़ा खबर

8d6d00ff4a3eb87c7d1452ff5d3c77c3

दिल्ली दूर ही नहीं बहुत दूर हो गई ! ऐसा क्यों और किसके लिए ? पढ़ें युवा स्तम्भकार नकी हैदर का लेख

8d6d00ff4a3eb87c7d1452ff5d3c77c3

प्रभाव इंडिया

आज शुरुआत किसी व्यंगय से नहीं किसी व्यकित विशेष या विशेष समूह के विरोध से नहीं बल्कि एक इस तरह की व्यवस्था से जिसे शायद मुल्क की 90% आबादी जानती ही नहीं है और वहां से बाते उन्ही लोगों की करने की बात बताई जाती है

जी हाँ अगर आप इशारों में इसे दिल्ली की सत्ता या दिल्ली शहर की बात समझ रहे है तो आप सही है वही दिल्ली जो कभी मुगलों की तो कभी अंग्रेजों की राजधानी रही और आजादी के बाद से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सत्ता की केन्द्र बनी हुई उसी दिल्ली से चंद कदम दूर पर यूपी का एक इलाका बसा हुआ है जिस लोग बड़ी शान से नोएडा बुलाते है इसी नोएडा में मुल्क के सारे निजी इलैक्ट्रोनिक मीडिया के संचालन केन्द्र है और वही से हमको और आपको एक इस तरह का देश दिखाने की कोशिश की जाती है जहां सब कुछ सामान्य है हमको ये बताया जाता है कि दिल्ली में हमारे लिए फिक्रमंद लोगों की जमात जमा है हमको ये समझा दिया जाता है कि दिल्ली अब दुनिया से टकराने को तैयार खड़ी है लेकिन क्या वही दिल्ली है जिसे कभी लूटियन ने बनाया था तो साहब ज़रा ठहर जाए दिल्ली वैसी नहीं है जी हाँ मै सही बोल रहा हूँ दिल्ली वैसी बिलकुल नहीं है जैसी दिखाई जा रही है वहां हमने जिनको अपनी फिक्र के लिए चुनकर भेजा है वो शाएद कनाट पैलेस के नशे में खो गए है

दिल्ली को चलाने के लिए जब भारत के दूर इलाके में अपनी फसल को कड़ी धूप में जानवरों से बचाने के लिए किसान अपने पसीने के बीच पानी पीने के बहाने किसी बिस्कुट के पैकेट को फाड़ रहा होता है तो वो उसका टैक्स दे चुका होता है जी वही टैक्स जो सीधे दिल्ली के पास चला जाता है और हम उसी किसानों के नाम पर सियासत करके दिल्ली पहुच जाते है लेकिन जब वही किसान दिल्ली एक उम्मीद लिए पहुचता है तो उसको मैट्रो में सफर करने में सिर्फ इसलिए दिक्कत होती है क्योकि वो अंग्रेजी सिस्टम से अनजान है और अगर वो अत्याधुनिक मैट्रो में सफर कर भी लेता है तो उसको इस समाज में पश्चिमी सभ्यता को अपना सब कुछ त्याग देने वाला युवा वर्ग इस नजरों से देखता है कि शाएद वो किसान नहीं मुल्क का सबसे बड़ा मुजरिम हो ये वही दिल्ली है जो रोज किसानों की बात करती है दिल्ली का वो इलाका जिन्हे सत्ता का केन्द्र कहते है वही सत्ता के आफिस जिसे रायसीना हिल्स कहते है पहाड़ी पर बसे इस गाँव की विडम्बना देखिए कि आज तक यहाँ के गाँव वालों को अपनी जमीन का मुआवजा तक नहीं मिला है  और बात हम किसानों की करते है दिल्ली यकीनन मुल्क से इतना आगे निकल गई है कि शाएद गाँव का कोई पुराना बुड़ा वहां जाए तो उसको अपने भारतीय होने और भारतीय संस्कृति पर लज्जा आ जाए हमारा युवा वर्ग जिस पश्चिमी सभ्यता को अपनाने के चक्कर में परेशान है वो यकीन जानिए हमारे लिए बेहद खतरनाक है कयोंकि दिल्ली भारत से आगे निकल चुकी है जहां कोई भी गलत काम करना समाज में आपको उच्च तबके के होने का प्रमाण देता है अगर यही विकास है तो बंद कर दीजिए ये विकास का रोना कयोंकि अगर इस मुल्क में सबने पश्चिमी सभ्यता को पकड़ने की तेजी दिखाई तो यकीन जानिए अन्न के लाले पड़ने वाले है और अपराध अपने चरम सीमा को पार करने वाला है कयोंकि अब युवा वर्ग खेती करना चाहता नहीं है और बेरोजगारो की संख्या दिनों दिन बड़ती जा रही है इस हालात में दिल्ली रोज हमको विकास की नई घुट्टी पिला रही है रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी किताब में लिखा था कि अगर हम पश्चिमी सभ्यता को पकड़ने के पीछे दौड़ेंगे तो अपनी सभ्यता से एक दिन हाथ धो बैठेंगे आज दिल्ली शाएद उसी दिशा में आगे बड़ रही है या यू कहें तो बड़ चुकी है और अपनी बर्बादी की कहानी को लिख रही है यही पर बापू की वो नसीहत भी याद आती है जब उनहोंने नेहरू से कहा था कि शहर बसाने की गलती मत करना नहीं तो तुम एक भारत खो बैठोगे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Prabhav India

prabhavindia

prabhav india Prabhav india