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जन्म दिन विशेष : युवा राजनीति के शालीन और लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी हैं अखिलेश यादव : मणेन्द्र मिश्रा “मशाल”
July 1, 2017 2:40 pm
मणेन्द्र मिश्रा “मशाल” प्रभाव इंडिया न्यूज़
आज अखिलेश यादव जी का जन्मदिन है।यूँ तो वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के बतौर मुख्यमंत्री जनता में अपार लोकप्रिय नेता के रूप में ख्यातिप्राप्त रहे हैं।लेकिन उनकी यहां तक की यात्रा संघर्ष के लंबे इतिहास को समेटे हुए है।पिछले पंद्रह वर्षो में उनके राजनैतिक सफ़र को राजनीति कर रहे नौजवानों को जानना चाहिए, जिससे राजनीति की संघर्षयात्रा को जाना और समझा जा सके कि कितनी कठिनाई,मेहनत और प्रतिबद्धता से राजनीति में शून्य से शिखर तक पहुँचा जाता है।समाजवादी पार्टी के संस्थापक और देश में समाजवादी आन्दोलन के कुशल संगठनकर्ता नेता जी मुलायम सिंह यादव के पुत्र होने का दंभ उन्हें छू भी नही पाया बल्कि उनकी सहजता और सादगी ने लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित किया।
2000 के शुरूआती दौर में सांसद का चुनाव लड़ने के दौरान ही उनका जन जुड़ाव सहित बुनियादी मुद्दों को समझने की पहल एक जमीनी नेता के तौर पर पहचान में आई।सांसद निर्वाचित होने के बाद,तत्कालीन राष्ट्रीय राजनीति के सशक्त हस्ताक्षर रहे नेताओं से स्वयं संपर्क स्थापित करते हुए,संसदीय राजनीति की बारीकियों को सीखते हुए, उनका प्रयोग जनहित के लिए कार्य करने की कार्यशैली ने,राजनीति और उससे जुड़े प्रमुख लोगों को गहरे तक प्रभावित किया।लोकसभा सांसद के रूप में एक दशक से अधिक के लम्बे कार्यकाल में समाजवादी विचारों को मजबूत करने के साथ ही साथ उन्होंने पार्टी संगठन से नये समूहों को जोड़ने का बेहतर और सफल प्रयास किया।
समाजवादी पार्टी को लेकर आम जनमानस के दिलो-दिमाग में बने छवि को तोड़कर नौजवानों,शिक्षितों,महिलाओं सहित समाज के सभी वर्गों की पार्टी बनाने में अखिलेश यादव का बड़ा योगदान है।युवा संगठनों के प्रभारी,प्रदेश अध्यक्ष से होते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की सांगठनिक राजनैतिक यात्रा के दौरान तीन बार रथयात्रा के माध्यम से समूचे उत्तर प्रदेश का दौरा करने से उपजे अनुभव ने,उन्हें राजनीति,संस्कृति और समाज को लेकर समग्र दृष्टि उत्पन्न करने में कारगर साबित हुआ।जिसकी झलक उनकी कार्यशैली में मिलती रहती है।
उन्होंने उच्च शिक्षित होने के साथ शालीन और शिष्ट व्यवहार के माध्यम से राजनैतिक शिष्टाचार का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।लोहिया के बाद की समाजवादी धारा छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र,बृजभूषण तिवारी,मोहन सिंह से सोशलिस्ट एवं संसदीय राजनीति का प्रशिक्षण लेने की वजह से अखिलेश यादव की राजनैतिक समझ और भी अधिक मजबूत हुयी है।विचार और कर्म से खांटी सोशलिस्ट,चौधरी चरण सिंह के अभिन्न सहयोगी रहे राजेन्द्र चौधरी के साथ की वजह से उनका व्यक्तित्व नई और पुरानी पीढ़ी के साथ कुशल समन्वयकारी नेता के रूप में स्थापित हुयी।
पाँच साल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के विकास का जो खांचा अखिलेश यादव ने खींचा है उसकी प्रशंसा गाँव-गिरांव से लेकर सूबे के उच्च तबके में खुले मन से आज भी हो रही है।अखिलेश यादव ने मेट्रो और एक्सप्रेस वे से जहाँ यूपी को दुनिया के उन्नत देशों से कदमताल करने का कार्य किया वहीं सामाजिक सुरक्षा के लिए साठ लाख से अधिक की गरीब आबादी को समाजवादी पेंशन के माध्यम खुशहाल बनाने का प्रयास किया।भविष्य के समाज निर्माण का रास्ता तैयार करने की दिशा में जैव विविधता से युक्त पर्यावरण की दृष्टि से नायाब,एशिया के सबसे महत्त्वपूर्ण पार्क जनेश्वर मिश्र पार्क लखनऊ को जनता के लिए समर्पित करके उन्होंने नई पीढ़ी के लिए संपोषणीय विकास की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।
राजनीति में किसी भी दुर्भावना,ईष्या सहित अन्य राजनीतिक तिकड़मो से दूर रहने की वजह से देश के सभी राजनैतिक दलों की राय अखिलेश यादव के प्रति अभी भी सम्मानजनक बनी हुयी है।यह शालीन और लोकप्रिय व्यक्तित्व का बड़ा उदाहरण है।आज भी पूरे देश में अखिलेश यादव के प्रति लाखों नौजवानों का जो आकर्षण बना हुआ है,वैसा किसी अन्य नेता के लिए दुर्लभ ही है।45 वर्ष की उम्र में देश-दुनिया के अनुभव के साथ देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद का सदस्य के रूप में लम्बा कार्यकाल,देश के सबसे बड़े प्रदेश का पाँच वर्षो का सफलतम मुख्यमंत्री,देश के प्रमुख क्षेत्रीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिमेदारी जैसे प्रमुख बिंदु उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में देर-सबेर बड़ी संभावनाओं वाला व्यक्तित्व बनाने के लिए पर्याप्त हैं।
अगस्त क्रांति के 75 वर्ष एवम् लोहिया के निधन के पचासवें वर्ष में जब देश की राजनीति में एक ऐसी विचारधारा तेजी से पनप रही है,जो पूरे भारतीय जनमानस को एक ही रंग-ढंग में बदलने को आमादा है।जो राष्ट्रवाद के नाम पर एक ऐसा भीड़तंत्र बनाना चाहती है जो हमारी सोचने-समझने की शक्ति को कुंद कर दे।ऐसे में लोहिया और समाजवादी विचार परम्परा की प्रासंगिकता बढ़ती चली जा रही है।हम भाग्यशाली हैं कि अखिलेश यादव के रूप में समाजवादी आन्दोलन के पास ऐसा नेतृत्व तैयार हो रहा है,जो देश में सामाजिक सौहार्द और समरसता के साथ जनता के बुनियादी समस्याओं को दूर करने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखता है।ईश्वर उन्हें दीर्घायु और क्षमतावान बनायें जिससे समाज खुशहाल और संपन्न बन सके.अंततः एक बार फिर से उनके जन्मदिवस अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें।
(लेखक मणेंद्र मिश्रा ‘मशाल’ संस्थापक-समाजवादी अध्ययन केंद्र, यह उनके विचार हैं )