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इस्लाम में कुर्बानी का महत्व, क्यों और कब से हुई इसकी शुरुआत ? पढ़ें – पूरी खबर

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जीएच कादिर 

हज़रत इब्राहिम  84 वर्ष के हो गयें थे  ।अभी तक उनके कोई औलाद न थी ।वह और उनकी बीवी हाजरा रजि. अल्लाह से दुआएँ मांगा करते थे कि उनकी सूनी गोद एक औलाद से अल्लाह भर दे । अल्लाह ने उनकी दुआएँ वर्षों बाद पूरी किया और घर एक बेटे का जन्म हुआ जिनका नाम #इस्माइल रखा गया ।

कहा जाता है कि वह और उनकी बीवी लगभग 60 वर्षों से संतान की दुआएँ मांग रहे थे । जो पूरी होने पर बहुत खुश हुए । हज़रत इब्राहीम ने अल्लाह का शुक्रिया नमाज़ पढ़कर अदा किया । खुशी से गुज़रते दिनों के साथ इस्माईल 7 वर्ष के हो गये । एक दिन उनके पिता हज़रत  इब्राहिम अ. स. ने एक ख़्वाब देखा । जो अल्लाह की तरफ़ से था जिसमें हज़रत इब्राहीम से कहा गया कि ऐ इब्राहीम तू अपने बेट इस्माइल को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करो …..!

अगली सुबह हज़रत इब्राहीम ने अपनी बीवी हाजरा से  कहा इस्माइल को नये कपड़े पहना कर तैयार कर दीजिए उन्हें कहीं  घुमाने ले जाना है और बाप बेटे दोनों घर से जंगलों के तरफ़ निकल पड़ें । इस्माइल बाप की ऊँगली पकड़े कर हँसते , उछलते – कूदते जा रहे थे और बाप इब्राहीम आँख में आँसू लिए सिर्फ़ उनका मुँह खामोश निगाहों से निहार रहे थे । जैसे ही वह जंगलों में पहुँचे तो हज़रत इब्राहिम ने ख्वाब की सारी बाते बेटे इसमाइल से बताई और कहा ” ऐ, इस्माइल तू जानता है अल्लाह मुझसे भी अच्छा है और जन्नत दुनिया से भी बेहतर जगह है, और अल्लाह ने तुझे अपने पास जन्नत में बुलाया है, तेरा रब चाहता है कि मैं तुझे क़ुर्बान कर दूँ इस्माइल तेरी क्या राय है ? बिना देर लगाए 7 वर्षीय बालक इस्माइल ने कहा ” अब्बू जान , देर किस बात की है जल्दी से मुझ अल्लाह की मर्ज़ी कै मुताबिक  क़ुर्बान करो ! अगर अम्माँ पूछेगी और रोएगी तो क्या होगा ?

मेरा कुर्ता अम्माँ को दे देना और कहना जब भी मेरी याद आये मेरे कुर्ते को देख लिया करेंगी । और तुम मुझे अपने कुरते यहीं दफ़न कर देना । मक्का ले जानै पर अम्माँ और दोस्तों को बहुत दुःख होग । बेटे की बात सुनकर हज़रत इब्राहिम फूट फूट कर रो पड़ें । बेटे इस्माइल ने कहा अब्बा ” इन्नल्लाहा  मअस्सासाबेरीन ( अल्लाह को सब्र  करने वाले पसंद हैं ) और तुम भी मुझे सब्र करने वालों में ही पाओगे ।बेटे इस्माईल ने कहा कि अब्बा मुझे उलटा लेटा कर क़ुर्बानी देना कहीं ऐसा न हो कि आपकी नज़र मेरे चेहरे पर पड़े और आप पलट जाए ” । इस वाक्य ने हज़रत इब्राहिम झकझोर कर रख दिया । अपने कलेजे के टुकड़े का हाथ पाँव बाँधा और ज़मीन पर लिटा कर नीचे कि  तरफ़ से गर्दन पर छुरी चलाने के लिए रखा । हज़रत इब्राहिम थम गयें और आसमान के तरफ़ देख कर अल्लाह को मुखातिब करते हुए कहा । ए मेरे रब ! तू मुझसे क्यों नाराज़ है ? क्या इस्माइल की मोहब्बत मेरे दिल में तुझसे ज़्यादा जगह पैदा कर दी तो तू समझ बैठा के इस्माइल तुझसे ज़्यादा अज़ीज़ है मेरे लिये….।  मेरे मालिक तुझ पर  दस इस्माइल क़ुर्बान ” यह कहते ही इस्माइल के गर्दन पर छुरी चला दी । इतने में आश्चर्यजनक रूप से तुरन्त इस्माइल के जगह न जाने कहाँ से एक जानवर #दूंबा आ गाया और आकाशवाणी आयी कि ” ऐ इब्राहिम तुझे तेरे अल्लाह ने सच्चा और सब्र करने वाला पाया तो तेरे #इस्माइल_की_क़ुर्बानी_क़ुबूल की और तेरे इस्माइल को फिर से सही सलामत लौटा दिया । यही से हज़रत इब्राहिम के बेटे इस्माइल की क़ुर्बानी…….को लेकर इस्लाम के मानने वाले #कुर्बानी का त्योहार मना रहे हैं ।

( लेखक शिक्षाविद और प्रभाव इंडिया के एडिटर हैं । इनका व्हाट्स ऐप नम्बर है 8173990923 )

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