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सम्मान : लखनऊ में प्रिंसेस फरहाना मालिकी को मिला सम्मान , समाजसेवा में उल्लेखनीय योगदान के लिए किया गया सम्मानित, हर्ष
August 31, 2018 2:26 pm
जीएच कादिर
लखनऊ । जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता और बेगमात रॉयल फैमिली ऑफ अवध की अध्यक्ष प्रिंसेस फरहाना मालिकी को मौलाना आज़ाद फाउंडेशन की तरफ से आज लखनऊ में संम्मानित किया गया । उन्हें यह सम्मान हज़रत गंज में एक समारोह में संस्था के सर्वे सर्वा बदरे आलम के हाथों दिया गया । उन्हें मौलाना आज़ाद की पुस्तक इंडिया विंस फ्रीडम, फोटो, प्रतीक चिन्ह और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया । इस मौके पर प्रिंसेस फरहाना मालिकी की समाज समाज को दी जा रही खिदमात के बारे में प्रकाश डाला गया । मौलान आज़ाद फाउंडेशन के चेयरमैन बदरे आलम ने कहा कि प्रिंसेस फरहाना जहाँ गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ा रही हैं वही वह समाज की ग़रीब असहाय और बेसहारा औरतों के बेहतरी के लिए निरंतर कार्यरत हैं । यह सम्मान मौलाना आज़ाद फाउंडेशन की तरफ से अगस्त अभियान के अंतर्गत अबतक प्रदेश की कई बड़ी हस्तियों मुलायम सिंह यादव, फ्रैंक हुज़ूर, मौलाना फिरंगी महली, दैनिक जागरण के संपादक सहित एक दर्जन बड़ी हस्तियों को अबतक संम्मानित किया जा चुका है, इसी कड़ी में फेमिनिस्ट एवं सोशल एक्टिविस्ट फरहाना मालिकी का नाम आज जुड़ गया है , सम्मान समारोह के मौके पर फरहाना मलिकी ने कहा कि मुझे सम्मान मिलना जहाँ गर्व की बात है वहीं महान सख्शियत मौलाना आज़ाद के उसूलों को जन जन पहुचाने का मौका भी मिला है । फाउंडेशन के चेयरमैन का यह कार्यक्रम और मुहिम काफी तारीफ के काबिल है । इस अवसर पर मौलाना आज़ाद के फाउंडेशन के चेयरमैन बदरे आलम, प्रिंसेस फरहाना मालिकी,, ज़फ़र मोहम्मदी, सिराज अहमद,हिना बेग़म,रिज़वान मालिकी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।
कौन है मौलाना आज़ाद
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन ( जन्म 11 नवंबर, 1888 मक्का में – मृत्यु 22 फरवरी, 1958 इण्डिया में) एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वह भारत सरकार के शिक्षा मंत्री थे । भारत की आजादी के वाद वह एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक व्यक्ति रहे। वह महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, तथा वह अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।