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पाँच सौ और एक हज़ार के नोट बन्दी से सड़कें सूनी, बैंक खुलने तक गरीबों के लिए “उधारी” बना सहारा

 

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जीएच कादिर

पाँच सौ और एक हज़ार रूपये बन्द होने से बाज़ार में सन्नाटा छाया हुआ है । सुबह से ही लोग इस नोट बन्दी को लेकर तरह तरह की बाते कर रहे हैं और कई तरह की अटकलें लगा रहे हैं । सबसे ज़्यादा ग़रीबों के बीच यह बेचैनी देखी जा रही है । अमीरों पर बाहरी तौर पर इसका असर नहीं दिखाई दे रहा है । गरीबों की स्थिति यह है कि उन्हें पाँच सौ नोट में रोज़मर्रा इस्तेमाल से लेकर खाने के सामान तक खरीदना है, इसलिए वह सब्जी की दूकान से लेकर राशन की दूकान तक का चक्कर लगा रहे हैं । वहीं धनवान व्यक्तियों की नज़र गोल्ड की दूकानों पर है । हज़ार – पाँच सौ के नोट बन्दी की खबर से अगर कुछ फायदे में है तो वह चाय की दूकान है । जहां लोग झुर्मुट बनाकर मोदी सरकार के इस फैसले पर चाय की चुस्कियों के बीच गुणा भाग कर रहे है, और हर कोई अपनी-अपनी विशेषज्ञता प्रदर्शित कर रहा है । बात चीत में यह भी स्पष्ट हो रहा है कि लोगों की ज़िन्दगी फिलहाल उधारी लेकर शुरू हो गई है कि बैंक खुलने पर लिए गये सामान का पैसा चुकाएंगे ।

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