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रामगोपाल यादव की वापसी से, शिवपाल समर्थकों में मायूसी

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लथनऊ : सपा सर्वे सर्वा मुलायन सिंह यादव  ने पार्टी और परिवार के हित देखते हुए रामगोपाल यादव को पार्टी और सभी पदों पर वापसी लिए जाने के फैसले अखिलेश यादव खेमे में खुशी है। इस फैसले को शिवपाल समर्थकों के लिए झटका माना जा रहा है। मुलायम के कुनबे में विवाद की शुरुआत शिवपाल और रामगोपाल के रिश्तों में तल्खी से हुई है। पारिवारिक समीकरण के अनुसार अखिलेश के साथ रामगोपाल खड़े हैं तो शिवपाल पर मुलायम का हाथ माना जाता है। शिवपाल और रामगोपाल के रिश्ते पहले से ही बहुत मधुर नहीं है, लेकिन अन्य कारणों के साथ ही मौजूदा विवाद की शुरुआत मैनपुरी में जमीन पर कब्जों व अवैध कारोबार के आरोपों से हुई। बकौल शिवपाल, एमएलसी अरविंद प्रताप यादव और विधायक राजू के खिलाफ जमीनों पर कब्जे और गलत कामों की शिकायतें मिली थी। ये दोनों रामगोपाल के रिश्तेदार व नजदीकी माने जाते हैं।
मैनपुरी में ही शिवपाल ने पहली बार जमीन पर कब्जे करने वालों पर कार्रवाई न होने पर इस्तीफे की धमकी दी थी। यहीं से आरोप-प्रत्यारोप की शुरूआत हुई। इसकी चरम स्थिति 23 अक्तूबर को रामगोपाल के सपा से निष्कासन के रूप में सामने आई। उनका निष्कासन अखिलेश के लिए झटका था।उन्होंने अखिलेश के पक्ष में लामबंदी की और कुछ मांगे उठाकर विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग की थी। उन्हें राज्यसभा में नेता पद से हटाए जाने की चर्चा थी लेकिन उनकी पार्टी में वापसी हो गई। माना जा रहा है कि इससे अखिलेश पार्टी में मजबूत हुए हैं। सबसे बड़ा झटका खुद शिवपाल को लगा है। शिवपाल ने रामगोपाल और उनके नजदीकियों को ही निशाने पर लिया था। सपा मुखिया ने उनके हमले की धार को कुंद कर दिया है।

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